कब है रमा एकादशी, जानें इसका महत्त्व व पूजा विधि

By AV NEWS

कार्तिक माह की आज से शुरुआत हो चुकी है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह महीना और एकादशी तिथि दोनों ही भगवान विष्णु को अति प्रिय है. रमा एकादशी दिवाली से पहले आती है, इसलिए इसका विशेष महत्व है. मान्यता है कि जो इस माह रमा एकादशी का व्रत रखकर श्रीहरि की पूजा अर्चना करता है उसपर महालक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है, साधक को मोक्ष मिलता है.

रमा एकादशी का व्रत इस साल 21 अक्टूबर 2022, शुक्रवार को रखा जाएगा. वहीं 22 अक्टूबर 2022 को गोवत्स द्वादशी पर इसका पारण किया जाएगा. एकादशी तिथि का पारण बहुत महत्व रखता है. द्वादशी तिथि पर व्रत पारण समय या फिर इस तिथि के खत्म होने से पहले एकादशी का व्रत खोल लेना चाहिए, नहीं तो साधक का व्रत व्यर्थ चला जाता है

रमा एकादशी का महत्व

रमा एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। इस व्रत का नाम विष्णु जी की पत्नी माता लक्ष्मी के नाम पर पड़ा है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति रमा एकादशी के दिन माता लक्ष्मी समेत भगवान विष्णु जी का पूजनकरता है उसके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। रमा एकादशी के अवसर पर व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इस साल रमा एकादशी के साथ शुक्रवार भी है इसलिए ये माता लक्ष्मी के पूजन का विशेष दिन होगा।

रमा एकादशी पूजा विधि 
  • रमा एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ़ वस्त्र धारण करें।
  • घर के मंदिर की सफाई करें और सभी भगवानों को गंगाजल डालकर स्नान कराएं।
  • सभी भगवानों को नए वस्त्र पहनाएं और फूलों से सुसज्जित करें।
  • घर के मंदिर में दीपक जलाएं और विष्णु जी की प्रतिमा या तस्वीर माता लक्ष्मी समेत स्थापित करें।
  • भगवान विष्णु को मुख्य रूप तुलसी दल अर्पित करें।
  • पूरे दिन व्रत का पालन करें और फलाहार ग्रहण करें।
  • यदि आप व्रत न भी करें तब भी आपको इस दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
  • विष्णु जी की तस्वीर को चंदन लगाएं और माता लक्ष्मी को कुमकुम लगाकर सजाएं।
  • विष्णु जी समेत माता लक्ष्मी की आरती करें और भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाएं।
  • इस दिन भोग में जो भी अर्पित करें उसमें तुलसी दल को जरूर शामिल करें।

इस तरह इसका नाम पड़ा रमा एकादशी

दीवावली से पहले मां लक्ष्‍मी की पूजा करने का यह सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। मान्‍यता के अनुसार मां लक्ष्‍मी का एक नाम रमा भी है और इस एकादशी में श्रीहरि के साथ लक्ष्‍मी माता की भी पूजा की जाती है, इसलिए इसे रमा एकादशी कहा गया है। इस दिन का व्रत करने के साथ मां लक्ष्‍मी की आराधना आरंभ हो जाती है और जो कि दीपावली तक अनवरत चलती है। इस व्रत को करने से आपके घर में कभी भी धन और धान्‍य की कमी नहीं होती है।

दान पुण्‍य का महत्‍व

दीपावली से पहले पड़ने वाली इस एकादशी पर दान पुण्‍य करने का भी शास्‍त्रों में खास महत्‍व बताया गया है। इस दिन किया जाने वाला दिन हजारों गाय दान करने के समान माना गया है। इस दिन जरूरतमंद लोगों को चावल, शक्कर, दाल, आटा का दान करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होती हैं और दान करने वाले की आय में वृद्धि होती है। रमा एकादशी पर कंबल और गरम कपड़े भी दान करने चाहिए। इस दिन छोटे बच्‍चों को पढ़ाई से जुड़ी सामग्री भी दान करनी चाहिए।

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