यह कैसा ‘खेल’! शुल्क बच्चों से और प्रतियोगिता विभाग की

By AV NEWS

खर्च का खुलासा करने से बच रहे अधिकारी और एक-दूसरे पर ढोल रहे जिम्मेदारी…

केवल भोजन और परिवहन पर राशि खर्च, स्पोट्र्स सुविधाओं का बजट शून्य

मोहित शर्माउज्जैन। शिक्षा विभाग द्वारा प्रति वर्ष विकासखंड से राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इसके लिए विभाग में अलग से बजट का कोई प्रावधान नहीं है। बच्चों से लिए जाने वाले क्रीड़ा शुल्क से खर्च की भरपाई की जाती है और वह भी केवल प्रतियोगिता के दौरान परिवहन व भोजन और नाश्ते के तौर पर। सुविधाओं के लिए बजट लगभग शून्य है।

शिक्षा विभाग द्वारा हर साल क्रीड़ा शुल्क के नाम से लाखों रुपए स्कूलों से वसूलते हैं। इनमें अब सेकंडरी सेटअप के स्कूलों में 9 वीं-10 वीं के प्रति छात्र से 120 रु. और 11 वीं-12 वीं के प्रति छात्र से 200 रु. सालाना क्रीडा शुल्क लिया जाता है। जमा राशि में से 45 फीसदी राशि स्कूल अपने पास रखकर शेष 55 फीसदी राशि जिला शिक्षा विभाग के पास भेज दी जाती है। इसमें से 40 फीसदी खर्च करने का अधिकार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को है।

15 फीसदी राशि संयुक्त संचालक शिक्षा को भेज दी जाती है। इस मामले की पड़ताल की तो यह सामने आया कि उज्जैन ही नहीं प्रदेश के अन्य जिलों में भी कमोबेश ऐसे ही हालात है कि जहां लाखों क्रीड़ा शुल्क के नाम से जमा हैं, लेकिन जमा राशि और खर्च का आंकड़ा बताने के लिए कोई तैयार नहीं है। एक जानकारी के अनुसार पर उज्जैन जिले में वर्तमान शिक्षा सत्र के दौरान शासकीय और अशासकीय विद्यालयों में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के तकरीबन 80 हजार बच्चों के प्रवेश हुए है।

इस मान से देखा जाए तो क्रीड़ा शुल्क के तौर पर शिक्षा विभाग के पास 80 लाख रुपए से अधिक की राशि जमा मानी जा सकती है। विभाग इसका किस तरह से उपयोग करने वाला है। इसकी जानकारी भी जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा सहित विभाग की क्रीड़ा शाखा के अधिकारी अरविंद जोशी भी सार्वजनिक नहीं करना चाहते। शुल्क की जानकारी मांगने पर अधिकारी खुद को व्यस्त बताते है या फिर जानकारी एकत्र करने का हवाला दे रहे है।

खिलाडिय़ों को नहीं दी जाती है राशि

चौंकाने वाली बात है कि प्रतियोगिता के दौरान प्रभावी शिक्षण संस्थाओं को रुपए एडवांस्ड तक दे दिए जाते है, जबकि यहां खिलाडिय़ों को एक रुपया तक नहीं दिया जाता है। सूत्रों का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा प्रतियोगिता के लिए जारी राशि का उपयोग खिलाडियों के परिवहन और भोजन/नाश्ते पर दर्शा दिया जाता है। विभाग के अधिकारी भी दबी जुबान इस बात को स्वीकार करते है पर खुलकर कोई नहीं बोलता है।

दो साल बाद कुल 51 खेलों का स्पोर्ट्स कैलेंडर जारी

दो साल बाद एक बार फिर स्कूली बच्चों को खेल प्रतिभा दिखाने का मौका मिल रहा है। इसके तहत विकासखंड स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन हो चुका है और आने वाले दिनों में जिला स्तरीय तथा संभाग स्तरीय प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। रास्य स्तरीय प्रतियोगिता सितंबर और अक्टूबर माह में होगी।

स्कूली शिक्षा विभाग ने कुल 51 खेलों में खेल प्रतियोगिताओं का कैलेंडर जारी किया है। प्रतियोगिता तीन आयु वर्ग के बच्चों के लिए है। मिनी वर्ग में 14 वर्ष से कम, जूनियर वर्ग में 17 वर्ष से कम और सीनियर वर्ग में 19 वर्ष से कम आयु के बालक/बालिका हिस्सा ले सकेंगे।

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