लोगों को तेजी से चपेट में ले रहा डेल्टा वैरिएंट

जब अप्रैल में ब्रिटेन में संभवतः दुनिया का सबसे लंबा चला लॉकडाउन खत्म हुआ था, तब देश में आम भरोसा देखने को मिला कि बुरा दौर अब गुजर गया है। लेकिन अब जिस तरह वहां फिर से कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़े हैं, उससे साफ है कि अभी ब्रिटेन को राहत की सांस लेने में लंबा इंतजार करना पड़ेगा। ब्रिटेन उन देशों में है, जहां सबसे ज्यादा टीकाकरण हुआ है। इसके बावजूद अब देश पर कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा है।

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पिछले हफ्ते देश में नए संक्रमण के एक लाख 20 हजार मामले सामने आए। यह उसके पहले के हफ्ते में सामने आए मामलों से 48 हजार ज्यादा है। इस बार सबसे ज्यादा और तेजी से संक्रमण ने स्कूलों को अपनी चपेट में लिया है। संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु की संख्या भी बढ़ रही है। हालांकि, जानकारों का कहना है कि इस बार मृत्यु दर पहले से काफी कम है। इसे टीकाकरण का फायदा समझा जा रहा है।

डेल्टा वैरिएंट ने बढ़ाई मुश्किल
ब्रिटेन में ताजा लहर कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट की वजह से आई है। जानकारों के मुताबिक, अब जो नए मामले सामने आ रहे हैं, उनमें लगभग सबके लिए यही वैरिएंट जिम्मेदार है। विश्लेषकों के मुताबिक, इसी वजह से अब दुनिया भर में ब्रिटेन को एक टेस्ट केस के रूप में देखा जा रहा है। ब्रिटेन दुनिया का पहला देश बना है, जहां टीकाकरण की दर ऊंची है, फिर भी जहां कोरोना वायरस का सबसे अधिक संक्रामक वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। इस कारण यहां रोजमर्रा की जिंदगी पर नई पाबंदियां लगाने पर विचार किया जा रहा है।

लंदन स्थित क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी में संक्रामक रोग विषय की सीनियर लेक्चरर दीप्ति गुरदसानी ने एक अमेरिकी टीवी चैनल से कहा, ”डेल्टा वैरिएंट किसी देश में महामारी की शक्ल बदल देने में सक्षम है। जब ये वैरिएंट आबादी में प्रवेश कर जाता है, तब संभव है कि हालत बहुत आसानी से हाथ से निकल जाए।’ ब्रिटेन में देखने में यह आया है कि जो लोग हाल में संक्रमण ग्रस्त हुए हैं, उनमें ज्यादातर युवा हैं। इसलिए संभव है कि उन्हें कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज ना लगी हो।

इसी महीने पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) की तरफ से जारी एक अध्ययन रिपोर्ट मे बताया गया कि फाइजर-बायोएनटेक और ऑक्सफॉर्ड- एस्ट्राजेनिका के टीके डेल्टा वैरिएंट से बचाव में क्रमशः 96 फीसदी और 92 फीसदी प्रभावी हैं। जिन लोगों ने इन वैक्सीन के दोनों डोज ले लिए हैं, उन्हें इसके गंभीर संक्रमण से बचाव मिलता है। अब ब्रिटेन में ये वैक्सीन 18 वर्ष से ऊपर की उम्र वाले सभी लोगों को लगाया जा रहा है।

डेल्टा वैरिएंट के बारे तथ्यों को किया नजरअंदाज
ब्रिटेन में अब कई विशेषज्ञों ने कहा है कि डेल्टा वैरिएंट के बारे में कई अहम सबक को यहां नजरअंदाज किया गया है। उन विशेषज्ञों के मुताबिक, बाकी देशों को इस पर निगाह रखनी चाहिए कि ब्रिटेन में स्थितियां क्या मोड़ लेती हैं। उनके मुताबिक, डेल्टा वैरिएंट दुनिया भर में सबसे प्रभावी वैरिएंट बनने जा रहा है। ऐसे में ब्रिटेन में जो अनुभव होगा, वह सारी दुनिया के लिए काम की चीज साबित हो सकता है।

गुरदासानी ने कहा, ”अब सिर्फ वैक्सीन आधारित रणनीति के खतरों को देख रहे हैं। वैक्सीन की बचाव में महत्त्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन हमें वैक्सीन के अलावा भी बचाव करना होगा। हमें संक्रमण को घटाने के उपाय करने होंगे।” संक्रामक रोग विशेषज्ञ टिम स्पेक्टर ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा कि मार्च और अप्रैल में नए मामलों के साथ मृत्यु की जो दर थी, अभी वो दर उससे बहुत कम है। वैक्सीन के दोनों डोज ले चुके लोगों को शायद ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। निश्चित रूप से वैक्सीन ने कोरोना वायरस से संक्रमित होने और मृत्यु के बीच के संबंध को भंग कर दिया है।’

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