उज्जैन:जानिए क्या मिलता है ‘नगर सरकार’ के नुमाइंदों को

By AV NEWS

पांच वर्ष में रुतबा, मानदेय महापौर 6.60 लाख, पार्षद 3.60 लाख रु.भते अलग से

‘माननीय’ के सत्कार व्यय पर निगम की आय का 10 से 15 प्रतिशत खर्च

उज्जैन।नई नगर सरकार अस्तित्व में आने वाली है, लेकिन क्या आपको पता है कि चुनाव में जमकर पैसा खर्च कर पार्षद और महापौर बने नगर सरकार के नुमाइंदों को कितना पैसा मानदेय व भत्तों के रूप में मिलेगा। निगम को टैक्स के तौर पर मिलने वाली राशि का 10 से 15प्रतिशत तो नगर सरकार के कारिंदों के सत्कार, सुविधा और अन्य व्यवस्थाओं पर ही खर्च कर दिया जाता है। आने वाली परिषद के लिए 2022-23 में सत्कार, व्यवस्था, विविध खर्च का 23लाख रु. से अधिक के बजट का प्रावधान किया है।

इसी प्रकार महापौर को हर महीने और पूरे पांच साल में कितना मानदेय मिलता है। आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि पांच साल में एक पार्षद को मानदेय के रूप में सिर्फ 3.60 लाख और महापौर को 6.60 लाख रुपए मिलते हैं। खास बात यह है कि मानदेय, वेतन भत्ते के रूप में जितनी राशि पांच साल में पार्षद कमाते हैं, उससे चार से पांच गुना तक राशि पार्षद चुनाव में ही खर्च कर देते हैं।

बीते दो वर्ष मे नगर निगम परिषद का वजूद नहीं था,इसलिए निगम के बजट में इसके खर्च की व्यवस्था नहीं की जा रही थी। अब निगम परिषद का गठन किया जा रहा हैं। ऐसे में वर्ष 2022-23 में सत्कार, व्यवस्था, विविध खर्च के लिए 23 लाख 65 हजार रु. का प्रावधान किया हैं। इसमें पक्ष-विपक्ष कार्यालय के लिए 50-50 हजार रु., महापौर ऑफिस सत्कार मद 75 हजार, अध्यक्ष कार्यालय अतिथि सत्कार 1 लाख 25 हजार, मे

यर इन कौंसिल बैठक सत्कार 1 लाख 75 हजार, महापौर विश्राम गृह सत्कार 2 लाख 75 हजार,निगम अध्यक्ष विश्राम गृह सत्कार 2 लाख 75 हजार,निगम सम्मेलन और कार्यालय अतिथि सत्कार 2 लाख, प्रतिष्ठित व्यक्तियों-संस्थाओं-खिलाडिय़ों के सम्मान 1 लाख,स्थानीय कला केंद्रों के प्रोत्साहन 1 लाख रु,विविध खर्च निगम कार्यालय 1 लाख 25 हजार रु।

शहर की 6 वार्ड समिति (6 जोन) का सत्कार कुल 2 लाख 40 हजार प्रत्येक जोन के लिए 40 हजार, एमआईसी (मेयर इन कौंसिल) सत्कार 4 लाख 50 हजार, निगम सभागृह मेंटेनेंस 50 हजार, निगम सभागृह एसी-जनरेटर व्यवस्था 1 लाख, महापौर-अध्यक्ष परिषद सम्मेलन व्यय 1 लाख,अध्यक्ष कार्यालय विविध खर्च 2 लाख,मेयर कार्यालय आकस्मिक खर्च 2 लाख और विभिन्न अवसरों-समाज के जुलूस, जयंती पर महापौर के निर्देशन में खर्च के लिए 1 लाख रु.का प्रावधान किया गया हैं। नगर निगम में पार्षद को प्रतिमाह मानदेय व बैठक भत्ता और महापौर-नगर निगम अध्यक्ष को मानदेय के साथ भत्ता मिलता है।

शहर सरकार में महापौर, सभापति और पार्षद का रुतबा अलग ही होता है। नगर निगम में इनको हर माह मिलने वाला मानदेय और भत्ता भले बहुत कम हो, लेकिन पीछे के दरवाजे से हर तरह की अन्य सुख-सुविधा मिल ही जाती हैं। वार्ड में पूछ-परख बढ़ जाती है, इसीलिए तो पार्षद का टिकट लाने से लेकर जीतने के लिए प्रत्याशी ऐड़ी-चोटी का जोर लगा देते हैं, वैसे पार्षद और मस्टरकर्मी के मानदेय में कोई अंतर नहीं है। दोनों को हर माह बराबर ही मानदेय यानी 6000 रुपए मिलते हैं।

50 लाख रुपए पार्षद निधि

पार्षद निधि 50 लाख रुपए रहती है। इसमें जनकार्य विभाग से संबंधित काम के लिए 25 लाख रुपए और ड्रेनेज एवं जल यंत्रालय विभाग से संबंधित कामों के लिए 25 लाख रुपए रहते हैं। इसके अलावा वार्ड में काम कराने के लिए पार्षद निगम बजट की अलग-अलग मद में रखी जाने वाली राशि का भी उपयोग करते हैं।

महापौर को हर सुविधा देने का प्रावधान

निगम एक्ट में महापौर को हर सुविधा देने का प्रावधान है। इसमें कार से लेकर हर माह का अनलिमिटेड मोबाइल बिल और अन्य कई सुविधाएं शामिल हैं। महापौर के लिए मानदेय,भत्ते के अलावा निगम के हर जोन पर महापौर निधि रहती है। यह निधि वार्ड में जनकार्य और जलकार्य विभाग से संबंधित काम करने पर खर्च होती है।

अध्यक्ष को वाहन का अधिकार नहीं: निगर निगम अध्यक्ष को निगम से वाहन लेने का भी अधिकार नहीं रहता, लेकिन इन्हें भी शहर में होने वाले विकास कार्यों का निरीक्षण करने के लिए सहित मोबाइल का खर्च और वायरलेस सेट दिया जाता है। निगम मुख्यालय में बैठने के लिए अलग से कमरा और काम करने को लेकर स्टाफ रहता है।

एमआईसी को अधिकार नहीं,फिर भी मिलती हर सुविधा

महापौर की पसंद से बनने वाले मेयर-इन-कौसिंल (एमआइसी सदस्य) मेंबर्स को निगम कानून-कायदे की किताब यानी एक्ट में कोई सुविधा देने का प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद इन्हें निगम मुख्यालय में बैठने के लिए सर्व-सुविधा युक्त कमरे के साथ स्टाफ दिया जाता है। एमआईसी मेंबर को किई बार वाहन सुविधा विभाग से संबंधित काम का निरीक्षण करने के नाम पर दी जाती है। वायरलेस सेट भी इन्हें मिलते हैं। इनके चाय-पानी से लेकर नाश्ते का खर्च निगम ही उठाती है। हर माह हजारों रुपए बिल बनता है।

निगम में ‘राजतिलक’ की तैयारियां

नई ‘शहर सरकार’ 6 अगस्त को शपथ लेगी। निगम में महापौर- पार्षदों के ‘राजतिलक’ की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। निगम अमला तैयारियों में जुट गया। महापौर,निगम अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष के चैंबर को ठीक किया गया है।

परिषद हॉल यानी सभागृह का साउंट सिस्टम भी ठीक हो रहा है। यहां पिछले ढाई साल से परिषद की कोई मीटिंग नहीं हुई है। निगमकर्मियों की समय-समय पर बैठकें जरूरी होती रही हैं। खबर यह भी है कि वाहनों के इंतजाम किराये पर किए जांएगे। इसके लिए प्रक्रिया भी चल रही है।

900 रुपए से अधिक नहीं…

पार्षद को मासिक मानदेय के अलावा 225 रुपए बैठक भत्ता मिलता है। यह भत्ता निगम और उसकी समितियों की बैठक में भाग लेने पर महापौर, अध्यक्ष व पार्षदों को मिलता है। यह भत्ता संबंधित वार्ड समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए महापौर द्वारा वार्ड समिति में नाम निर्दिष्ट किए गए सदस्यों को भी मिलता है। हर माह 900 रुपए से अधिक भत्ता देय नहीं होता।

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