25 अक्टूबर को हैं सूर्यग्रहण, इन बातों का रखे खास ध्यान

By AV NEWS

कार्तिक माह में दो ग्रहण हैं। 25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के बाद 8 नवंबर को चंद्रग्रहण होगा। संवत् 2079 कार्तिक अमावस्या 25 अक्टूबर 2022 मंगलवार को खंडग्रास ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण लगने वाला है। यह ग्रहण पूर्वी भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर पूरे देश में देखा जा सकेगा। दीपावली के अगले दिन हो रहा यह सूर्यग्रहण स्वाति नक्षत्र और तुला राशि में होगा। ग्रहण कालगणना के केंद्र उज्जैन के समयानुसार सायं 4 बजकर 41 मिनट पर प्रारंभ होगा। ग्रहण का मध्यकाल सायं 5 बजकर 38 मिनट रहेगा तथा ग्रहण का पूर्ण मोक्ष सायं 6 बजकर 29 मिनट पर होगा।

किंतु चूंकियह ग्रस्तास्त ग्रहण है अर्थात् सूर्यास्त के बाद भी चलेगा इसलिए इसकी कुल अवधि सूर्यास्त तक अर्थात् सायं 5 बजकर 53 मिनट तक ही मानी जाएगी। इस प्रकार 5.53 पर सूर्यास्त तक ही ग्रहण का पर्वकाल रहेगा जो 1 घंटा 12 मिनट रहेगा। सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले अर्थात् सूर्योदय पूर्व प्रात: 4 बजकर 41 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा।

ज्योतिषियों के अनुसार ग्रहण का सूतक 25 को सूर्योदय के पूर्व से लग जाएगा और 26 को सूर्योदय के बाद समाप्त होगा। इसलिए 25 को सुबह से रात तक मंदिरों में देव स्पर्श, पूजन, आरती, भोग नहीं होगा, 26 को सूतक समाप्त होने के बाद ही पूजन, भोग, आरती होगी।

पं. व्यास के अनुसार यह ग्रहण इसलिए खास है कि गणपति अथर्वशीर्ष में लिखा है कि सूर्यग्रहण के अवसर पर पवित्र नदी के तट पर देव प्रतिमा के समक्ष ग्रहण लगने के पूर्व स्नान कर दीपक लगाकर संकल्पित मंत्र का जप करें तो मंत्र सिद्ध हो जाता है।

भारत के पूर्वी भाग में दिखेगा

25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के बाद 8 नवंबर को चंद्रग्रहण होगा। यह ग्रहण भारत के अति पूर्वी भाग में दिखाई देगा। इसलिए मप्र में इसके सूतक व स्नान-दान का पालन आवश्यक नहीं रहेगा लेकिन शास्त्रों का कथन है कि एक पखवाड़े में सूर्य व चंद्रग्रहण हो तो शुभ होता है।

सूर्यग्रहण के 15 दिन बाद चंद्रग्रहण हो तो धर्म की वृद्धि तथा महापुरुषों का उदय होता है। सूर्यग्रहण वृषभ, सिंह, धनु व मकर के लिए शुभ, मेष, मिथुन, कन्या व कुंभ के लिए मध्यम तथा कर्क, तुला, वृश्चिक व मीन राशि वालों के लिए नेष्ट फलदायी होगा। जिन राशियों पर नेष्ट है व ग्रहण नहीं देखें।

ग्रहण में क्या करें, क्या न करें: 

ग्रहण का सूतक लगने के बाद से ग्रहण के मोक्ष के मध्य बाल कटवाना, नाखून काटना, मूर्ति स्पर्श करना, ख़ाना, पीना आदि की मनाही होती है। बच्चे, बूढ़े, बीमार, गर्भवती महिलायें ग्रहण लगने के तीन घंटे पहले तक भोजन, दवाई आदि ले सकते हैं। गर्भवती महिलायें ग्रहण के समय घर से बाहर न निकलें, बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। सूर्यग्रहण को नंगी आखों से न देखें, ग्रहण के समय निकलने वाली पराबैगनी किरणों से आँखों की रोशनी कम हो सकती है, आँखों का पर्दा जल सकता है।

ग्रहण के समय सूर्य के मंत्रों के जप करना चाहिए। हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान जी के मंत्रों के जप करना चाहिए। ग्रहण के मोक्ष के पश्चात स्नान करके अन्न, फल, वस्त्र आदि अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करना चाहिए। दान दी जाने वाली वस्तुओं का ग्रहण के मध्य संकल्प कर लेना चाहिए। जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्यग्रहण हो यानि सूर्य के साथ राहु, केतु या शनि बैठे हों उन्हें ताम्बे का बर्तन, गेहूँ आदि सूर्य की वस्तुओं का दान करना चाहिए।

तुलसी या कुश डालें:-

ग्रहण के समय खाद्य तथा पेय पदार्थों में सूक्ष्म जीवाणु प्रविष्ट हो जाते हैं। इसलिए सूतक लगने के पहले भोजन, जल, दूध, दही, तेल, अचार, चटनी आदि में कुश या तुलसी पत्र डालें। कुश में सारे जीवाणु एकत्रित हो जाते हैं, जब ग्रहण समाप्त हो जाये तो उस कुश को निकाल कर बाहर फ़ेंक दें। तुलसी में जीवाणुओं से लड़ने की तथा उन्हें मारने की अदभुत क्षमता होती है। तुलसी के प्रभाव से भोज्य तथा पेय पदार्थ प्रदूषण से मुक्त रहते हैं।

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