विश्व एड्स दिवस पर देवी अहिल्या विश्व विद्यालय सभागृह में आयोजित कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा शामिल हुए।इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत देश में टिटनेस की दवा आने में 40 साल लगे। क्षय रोग की दवा आने में 25 साल लगे, लेकिन कोरोना के दो टीके 9 माह में आ गए। जिन्होंने कई लोगों की जिंदगी बचाई। हमने चालीस देशों को मुफ्त कोरोना की दवा दी।
अब भारत लेने वाला नहीं देने वाला भारत बन चुका है।कोरोना के समय डेढ़ माह में देश तैयार हुआ।पीपीई किट,आईसीयू बेड, टेस्टिंग किट बनाई गई। कोरोना का मैनेजेमेंट देश में प्रभावी रहा।नड्डा ने कहा कि नए उम्र के लोगों ने काला दौर नहीं देखा, जो 80 के दशक में रहा। एड्स की बीमारी को डेथ वारंट माना जाता था। पूरा परिवार तबाह हो जाता था। तब जागृति के लिए कोई अभियान भी नहीं चलते थे। अभी तक इस तरह की दवा नहीं आई कि मरीज उसे खाकर पूरी तरह ठीक हो जाए।
मरीज को आजीवन दवा खाना पड़ेगी और जीवन भर वह ठीक रह सकता है। अब हमारा विज्ञान इतना विकसित हो चुका है कि इस बीमारी के साथ भी लोग लंबी जिंदगी जी रही है। सामान्य संतानों को जन्म दे रहे है। इसकी चर्चा से हमें भागना नहीं चाहिए। बच्चों को इस बीमारी के लिए एज्यूकेट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एड्स के साथ जो लोग जी रहे है, उनकी स्थित को समझे और उनके प्रति संवेदनशील रहे और उनके अधिकारों का हनन न हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। एड्स की लंबी लड़ाई समाज ने और देश ने लड़ी है।
पहले एड्स की दवा नहीं थी। जब दवा आई तो वह इतनी महंगी थी कि वह गरीब आदमी खरीद नहीं सकता था। वह दवाई भारत सरकार अब फ्री में दी जाती है। देश में 17 लाख लोग एड्स पीडि़त है। भारतीय कंपनियों ने सबसे सस्ती और असरकारक दवाएं बनाई। जो विश्व के लिए मददगार साबित हो रही है। अफ्रीका, साउथ अफ्रीका जैसे देशों को हम जोड़ पाए है।
समारोह में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि एड्स रोगी को अच्छा इलाज और समाज से मदद मिले तो रोगी इस बीमारी पर जीत हासिल कर जीवन यापन कर सकते है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के बाद देश का स्वास्थ्य विभाग पर विश्वास और पक्का हुआ है। भारत ने तब दूसरे देशों की भी मदद की।