1000 पर 10 रुपए कमीशन के लालच में फंस गया मोबाइल दुकान संचालक

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। ऑनलाइन ठगी करने वाले अलग-अलग तरीके अपनाकर न सिर्फ आम लोगों को ही नहीं बल्कि दुकान संचालकों को भी अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया जब पांच युवकों ने मिलकर मोबाइल दुकान संचालक के खाते में ठगी के रुपए ट्रांसफर करवाए। साइबर सेल ने जांच के बाद उसी दुकान संचालक का खाता सीज करा दिया।

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यह था मामला

सरस्वती नगर में रहने वाले राहुल पिता करण सिंह राठौर मोबाइल दुकान चलाता है। उसने बताया कि कुछ माह पहले दोस्त साजन राठौर के माध्यम से निखिल, सन्नी प्रजापत, आदित्य राठौर, कान्हा और गोलू उसके पास आए थे। उन्होंने कहा कि हम तुम्हारे खाते में रुपए ट्रांसफर कराएंगे। 1000 रुपए पर 10 रुपए अपना कमीशन काटकर नकद रुपए हमें दे देना। युवकों की बातों में उलझकर उन्हें कई बार नकद रुपए दिए। जनवरी माह में पता चला कि केनरा बैंक फ्रीगंज शाखा जहां उसका खाता था उसे बैंक ने सीज कर दिया है। बैंक पहुंचकर उसने पूछताछ की तो पता चला कि साइबर सेल ने खाता सीज कराया है। खाते में 5 लाख से अधिक रुपए थे जिसका उपयोग दुकान संचालन में होता था। खाता सीज होने का कारण खोजा तो पता चला कि जिन युवकों ने उसके खाते में रुपए डलवाए थे वह ठगी का रुपया था।

दो बार दबिश देने के बाद भी नहीं मिले ठग

लक्ष्मण चौधरी ने बताया कि कुछ माह पहले नीलगंगा थाना पुलिस ने शेयर मार्केट में इनवेस्ट के नाम पर लोगों से ठगी करने वाली फर्जी कंपनी के लोगों को गिरफ्तार किया था। उस दौरान बारां साइबर सेल की टीम ने उज्जैन पहुंचकर ठगों की गिरफ्तारी के प्रयास किए थे। दो बार प्रयास करने के बाद भी अब तक कोई आरोपी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया है। पुलिस को उनकी तलाश है।

राजस्थान पुलिस को है ठगों की तलाश

राजस्थान के बारां साइबर सेल के लक्ष्मण चौधरी ने बताया कि उज्जैन में फर्जी कंपनी बनाकर शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर एक साल में रुपए डबल करने का लालच देकर निखिल श्रीवास और उसके दोस्तों ने अनेक लोगों के साथ साइबर ठगी की थी। बारां साइबर सेल को दिसंबर माह में सीएमएचओ कार्यालय के संविदा कर्मचारी ने ऑनलाइन शिकायत की थी जिसमें उसने कंपनी का नाम लिखकर बताया था कि उसके साथ 11 लाख रुपए की ऑनलाइन ठगी हुई है। उक्त शिकायत के आधार पर साइबर सेल की टीम ने ठगों की जानकारी एकत्रित की और ठगी के रुपए किन किन खातों में ट्रांसफर हुए हैं उन खातों को सीज कराने की कार्रवाई की थी।

साइबर ठगी का रुपया आया था खाते में… राहुल ने बताया कि वह अपनी मोबाइल दुकान पर जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए अपने खाते में रुपए डलवाकर नकद रुपए देता था जिससे उसे 10 रुपए प्रति हजार पर कमीशन मिलता था। इसकी जानकारी ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों को लगी तो वह दोस्त के माध्यम से उसके पास पहुंचे और ठगी के रुपए उसके बैंक खाते में डलवाकर नकद रुपए ले गए थे।

साइबर ठगों से सावधान रहें…

पुलिस-प्रशासन द्वारा अलग-अलग माध्यमों से आमजन को साइबर ठगी से बचने के लिए जागरूक करती है। पोस्टर, होर्डिंग्स, मोबाइल रिंगटोन, स्कूल कॉलेज में कार्यशाला के माध्यम से लोगों को सजग किया जा रहा है बावजूद इसके कई लोग साइबर ठगों की चाल में फंसकर रुपए गंवा रहे हैं।

साइबर ठगों से बचने के लिए अनजान नंबरों से आने वाले कॉल अटेंड न करें।

किसी भी प्रकार के गेमिंग एप को डाउनलोड करने से पहले उसकी जानकारी कंफर्म करें।

कम समय में रुपए दो गुना करने की ऑनलाइन स्कीम से बचें।

डिजिटल अरेस्ट के नाम पर मिलने वाली धमकी पर भरोसा न करें।

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