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संत की संगत ऐसी लगी, ब्राजील के मुस्लिम पहलवान ने छोड़ा नॉनवेज

हैजला फ्री स्टाइल कुश्ती लड़ते हैं और महाराष्ट्र केसरी जैसा खिताब अपने नाम कर चुके हैं, इन दिनों उज्जैन के हरियाणा आश्रम में ठहरे हैं

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। ब्राजील से भारत में कुश्ती लडऩे आए एक मुस्लिम पहलवान पर संत की संगत का ऐसा असर हुआ कि उसने नॉनवेज खाना छोड़ दिया। संत के सान्निध्य में रहकर वह गीता के ज्ञान को भी समझ रहे हैं।

उज्जैन के नृसिंह घाट स्थित हरियाणा आश्रम में इन दिनों ब्राजील के पहलवान हैजला फिजियोथैरेपी करवा रहे हैं। 21 वर्षीय हैजला फ्री स्टाइल कुश्ती लड़ते हैं और महाराष्ट्र केसरी जैसा खिताब अपने नाम कर चुके हैं। 105 किलो वजनी हैजला के पैर में कुश्ती लड़ते समय चोट आ गई थी, उनका इलाज तो हो गया लेकिन फिजियोथैरेपी जारी है। वह अपने साथी पहलवान रवि के साथ इन दिनों उज्जैन में हैं और हरियाणा आश्रम में रह रहे हैं। यहां आने के बाद हैजला ने खुद को आश्रम के नियमों में बांध लिया है। इसका असर उनकी डाइट में भी हुआ है। उन्होंने नॉनवेज खाना छोड़ दिया है। अब वह आश्रम में बना सात्विक भोजन प्रसादी के रूप में ग्रहण करते हैं।

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अक्षरविश्व से हैजला ने कहा उन्हें भोजन में बनने वाला मीठा बहुत पसंद है। खासकर खीर और लड्डू। अपनी डाइट के मुताबिक वह जमकर दोनों मिठाइयों का सेवन कर रहे हैं। महामंडलेश्वर ज्योतिगिरी बताते हैं हैजला और उनके अनुयायी रवि गहरे दोस्त हैं। दोनों ने महाराष्ट्र में कई कुश्तियां लड़ीं। हैजला चोटिल हुए तो रवि उन्हें अपने घर ले आया। रवि का परिवार सनातनी है और वह नॉनवेज नहीं खाता। ऐसे में हैजला ने भी नॉनवेज छोडऩे का फैसला किया। अब उसने तय किया है कि वह कभी भी नॉनवेज नहीं खाएगा। यह एक अच्छा परिवर्तन है।

आश्रम के बच्चों को हैजला सीखा रहे अंग्रेजी

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हैजला की अंग्रेजी बेहतर है। आश्रम में प्रतियोगी तैयारियों के लिए बच्चे हैं। इन बच्चों को हैजला खाली समय में अंग्रेजी सिखाते हैं। दरअसल, ज्योतिगिरी महाराज दलित वर्ग के बच्चों को दीक्षित शिक्षित करने का काम कर रहे हैं। मनमाड़ आश्रम में उनके पढ़ाए बच्चे एनडीए, एसएससी की परीक्षाओं में सिलेक्ट हुए हैं। उज्जैन आश्रम में भी ज्योतिगिरी महाराज बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

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