शहर में आवश्यकता से अधिक चल रहे ई-रिक्शा

दूसरे शहरों से खरीदकर उज्जैन आरटीओ में रजिस्ट्रेशन कराया, अब रूट डिवाइड करने की योजना

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शहर की जनसंख्या और क्षेत्रफल के मान से शहर में चलने वाले लोक परिवहन के साधनों, मैजिक, ऑटो व ई-रिक्शा की संख्या निर्धारित है लेकिन वर्तमान में जरूरत से दोगुना से अधिक ई-रिक्शा शहर में संचालित हो रहे हैं। खास बात यह कि शहर में ई-रिक्शा विक्रय पर प्रतिबंध लगाया गया तो कई लोग दूसरे शहरों से उक्त वाहन खरीदकर लाये और उज्जैन आरटीओ में उसका रजिस्ट्रेशन कराने के बाद संचालन भी शुरू कर दिया। अब यही ई-रिक्शा शहर के यातायात में बाधक बन रहे हैं।

कलेक्टर नीरज कुमार सिंह द्वारा पिछले दिनों आरटीओ को निर्देशित किया गया था कि शहर की यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए ई रिक्शा को रूट के हिसाब से संचालन की योजना तैयार की जाए। इसके बाद आरटीओ में अनेक एजेंसियां अपनी-अपनी योजनाएं लेकर पहुंची हालांकि अफसरों द्वारा अब तक किसी भी योजना को फायनल नहीं किया गया है।

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आरटीओ से मिली जानकारी के अनुसार एजेंसियों द्वारा दिये गये अब तक के रूट प्लान में यह बात सामने आई है कि शहर के अधिकांश ई रिक्शा पुराने शहर और महाकाल, रामघाट के आसपास ही संचालित होते हैं जबकि शहर के दूसरे हिस्सों व फ्रीगंज क्ष्रेत्र में इन वाहनों का संचालन बहुत कम है। पुराने शहर में अधिक संख्या में ई रिक्शा संचालन के कारण ही यातायात की समस्या उत्पन्न हो रही है।

सामान्य दिनों में 20 हजार यात्री आते हैं

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महाकाल लोक बनने के बाद प्रतिदिन शहर में आने वाले यात्रियों की संख्या में इजाफा अवश्य हुआ है लेकिन आरटीओ द्वारा निकाले गये आंकड़ों के मुताबिक प्रतिदिन ट्रेन और बस के माध्यम से 20 हजार के लगभग यात्री उज्जैन पहुंचते हैं। यह आंकड़ा सामान्य दिनों का है और ऐसे यात्रियों को ही लोक परिवहन के साथ मैजिक, ऑटो व ई रिक्शा की आवश्यकता एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए होती है।

सभी लोक परिवहन के वाहनों की संख्या 15 हजार से अधिक

ई-रिक्शा के अलावा शहर में ऑटो व मैजिक वाहनों का संचालन भी लोक परिवहन के लिये होता है। यातायात पुलिस के मुताबिक शहर में फिलहाल 3000 ई-रिक्शा की जरूरत है लेकिन 9500 से अधिक संचालित हो रहे हैं यही स्थिति ऑटो की भी है। हालांकि ऑटो संचालक पूरे शहर में अपने वाहनों को संचालित करते हैं। वहीं मैजिक भी शहर के विभिन्न रूटों पर संचालित हो रही है। इस प्रकार तीनों लोक परिवहन के साधनों की कुल संख्या निकालें तो 15 हजार से अधिक होती है।

समय और रूट निर्धारित करना जरूरी

ई-रिक्शा संचालकों को वाहन संचालन का समय और रूट निर्धारित करने पर ही यातायात की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। एक कंपनी द्वारा आरटीओ को दिए प्लान में बताया गया है कि महाकाल मंदिर चौराहे से छत्री चौक अथवा तेलीवाड़ा, इसी चौराहे से रामघाट अथवा दानीगेट या फिर तोपखाना, दौलतगंज जैसे रूट निर्धारित करना होंगे साथ ही इन मार्गों पर चलने वाले ई रिक्शा की संख्या, समय और किराया भी निर्धारित किया जाए ताकि एक समय में निर्धारित संख्या से अधिक वाहन रूट पर न पहुंचे और यातायात भी नियंत्रित रहे।

इनका कहना

फिलहाल शहर में ई रिक्शा संचालन के लिये रूट निर्धारण पर विचार चल रहा है। किसी भी प्लान को फायनल नहीं किया गया है। शीघ्र ही निर्णय लेकर अफसरों को अवगत कराया जाएगा।-संतोष मालवीय, आरटीओ

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