लागू हुआ GST का बिल समाधान सिस्टम

पोर्टल पर बिल स्वीकार या रद्द करना जरूरी

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उज्जैन। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में बिल समाधान प्रणाली (इनवाइस मैनेजमेंट सिस्टम) लागू हो चुकी है। इससे व्यापारियों का काम बढऩे वाला है। सामान खरीदने वाले व्यवसायी को अपने खरीदी बिलों को जीएसटी पोर्टल पर या तो स्वीकार या फिर रद्द (रिजेक्ट) करना पड़ेगा। बिल समाधान प्रणाली बिल स्वीकार या फिर रद्द नहीं करने पर बिल लंबित हो जाएंगे। ऐसे में निर्धारित अवधि के बाद बिल अपने आप स्वीकार हो जाएंगे।

इससे सामान खरीदने वाले व्यापारी को यह नुकसान हो सकता है कि जो सामान उसने खरीदा नहीं है उसका बिल भी स्वीकार हो जाए। ऐसा होने पर विभाग गड़बड़ी के आरोप में कार्रवाई कर देगा। अभी तक एक-एक बिल स्वीकार या रद नहीं करना पड़ता, जिससे काम का दबाव कम था।

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‘विवाद से विश्वास’ स्कीम: जानकारों के अनुसार आयकर में ‘विवाद से विश्वास’ स्कीम सहित कई नए प्रावधान से लागू किए हंै। विवाद से विश्वास पुराने बकाया के समाधान के लिए है। इसके अंतर्गत टैक्स के लंबित मामलों का निपटारा हो सकेगा। करदाता पुरानी मांगों को खत्म करने के लिए इसका लाभ उठा सकेंगे।

यह भी हुआ

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आयकर के टीडीएस नियमों में भी बदलाव हो जाएंगे। जीवन बीमा से प्राप्त राशि एवं एजेंटों को दिए जाने वाले कमीशन पर ५ के स्थान पर केवल दो प्रतिशत टीडीएस की कटौती होगी।

शेयरों की खरीदी बिक्री पर लगने वाले सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स को भी 0.1 से बढ़ाकर 0.2 प्रतिशत कर दिया

1 नवंबर से जीएसटी में वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक की पुरानी ब्याज एवं अर्थदंड की मांगों को खत्म करने की योजना लागू हो जाएगी, जिसका व्यापारियों को लाभ मिलेगा।

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