करोड़ों का टैक्स निगम के खजाने से दूर, जो करदाता टैक्स जमा नहीं कर रहे उन पर कोई कार्रवाई नहीं
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। नगर निगम अपना ही टैक्स वसूलने में कितना लापरवाह है, इसका बड़ा उदाहरण बकाया टैक्स राशि से लगाया जा सकता है। जो लोग ईमानदारी से टैक्स जमा कर रहे, उनसे ही निगम प्रशासन टैक्स ले रहा और जो लोग टैक्स जमा न कर मौज कर रहे, उन पर कार्रवाई भी नहीं की जा रही। नतीजा यह कि निगम आर्थिक कंगाली से जूझ रहा।
हाल ही लोक अदालत में करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का टैक्स निगम ने वसूला लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि 70 हजार से ज्यादा परिवार लंबे समय से टैक्स ही जमा नहीं कर रहे। इससे करोड़ों रुपए का टैक्स बकाया चल रहा, लेकिन इसे वसूलने में निगम प्रशासन अपनी ताकत नहीं लगा पा रहा। निगम के आंकड़ों के अनुसार शहर में सवा लाख से ज्यादा कर दाता हैं। इनमें से करीब चालीस हजार करदाता ही टैक्स जमा करते हैं। 90 हजार से अधिक लोगों से टैक्स जमा नहीं कराया जा रहा। सूत्रों के अनुसार इस स्थिति के कारण 90 करोड़ से अधिक का टैक्स बकाया था, इनमें से करीब 23 हजार लोगों ने ही समय पर टैक्स जमा किया। हाल यह है कि करीब 74 करोड़ रुपए निगम का टैक्स निगम के खजाने से दूर है। हाला ही 14 सितंबर को आयोजित लोक अदालत में 1723 रसीदें टैक्स जमा कर काटी गईं। इससे 3 करोड़ 43 लाख 42 हजार 895 रुपए जमा हुए।
टैक्स जमा नहीं करने वालों पर कार्रवाई नहीं…
शहर के कई लोग ऐसे हैं जो वर्षों से टैक्स ही जमा नहीं करते। राजस्व समिति के प्रभारी रजत मेहता ने स्वीकार किया है कि करीब 70 हजार लोग टैक्स ही जमा नहीं कर रहे। निगम प्रशासन ने अब तक ऐसे लोगों की सूची भी जारी नहीं की है जो पिछले दस सालों से टैक्स जमा नहीं कर रहे। दरअसल, निगम अधिकारियों पर जब लोक अदालत का दबाव आता है तभी वह उन लोगों तक पहुंचता है जो आसानी से टैक्स जमा करते है। जो वर्षों से टैक्स जमा नहीं करते उनसे प्राथमिकता से टैक्स जमा कराना चाहिए। ऐसा हो नहीं पाता। परिणाम यह की बकाया राशि का आंकड़ा बढ़ता जा रहा।
लोगों तक भी पहुंचने की कोशिश करेंगे
यह सही है कि शहर के कई लोग टैक्स जमा नहीं करते। 70 हजार से अधिक लोग इस दायरे में हैं। कई लोग ऐसे हैं जिनका टैक्स केवल 200 से 500 रुपए ही है, वे भी जमा करने के प्रति आगे नहीं आते। बकाया टैक्स पर चिंतन किया है और ऐसे लोगों तक भी पहुंचने की कोशिश करेंगे, जो टैक्स जमा नहीं करते। – रजत मेहता, प्रभारी राजस्व समिति