महापौर की निगमायुक्त को दो टूक: जनता को शुद्ध पानी देना ही पड़ेगा
अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह पहला मौका है कि जब नगर निगम के दो पार्षदों ने नगर निगम की अव्यवस्था के खिलाफ मोर्चा खोला। इन दो भाजपा पार्षदों द्वारा दिए गए धरने और प्रदर्शन से शहर की राजनीति में हलचल मची हुई है। नगर निगम में बैठे अधिकारी नगर निगम को चला नहीं पा रहे हैं। पानी के मुद्दे पर बवाल मचा हुआ है। गनीमत है कि नगर निगम अध्यक्ष कलावती यादव ने मोर्चा संभाल लिया अन्यथा उत्तेजित लोग तो अधिकारियों का मुंह काला करने वाले हैं ऐसी धमकी दे चुके थे। सच्चाई यह है कि अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ही उत्तर क्षेत्र के लोगों को पर्याप्त और स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है।
शहर में पेयजल सप्लाय का मुख्य स्त्रोत गंभीर डेम है। बारिश के सीजन में डेम पूरी क्षमता 2250 एमसीएफटी तक भर गया। लोगों की मांग पर पीएचई ने शहर में प्रतिदिन जलप्रदाय भी शुरू कर दिया। अब पुराने शहर के वार्डों में कम प्रेशर, दूषित जलप्रदाय, कम समय तक नलों से पानी आने की शिकायतें शुरू हो गई हैं। स्थिति यह है कि जनता के साथ जनप्रतिनिधियों को धरना देना पड़ रहा है। वर्ष 2004 में गंभीर डेम से शहर की पेयजल टंकियों को भरने के लिए लाइन जोड़ी गई थी। यह लाइन कई बार क्षतिग्रस्त हुई जिसे रिपेयर कर पीएचई द्वारा पुन: चालू किया गया। 20 वर्ष पूर्व शहर में पेयजल टंकियों की संख्या 28 के करीब थी। इसके पेयजल टंकियों की संख्या 44 हो गई है। डेम के पंप 22 घंटे चलाने के बाद भी सभी टंकियों को पूरी क्षमता से भरना मुश्किल है। इसी कारण विभिन्न वार्डों में कम दबाव से जलप्रदाय होता है।
टेक्निकल गड़बड़ी का समाधान नहीं
पुराने शहर के पीपलीनाका क्षेत्र के 10 स्थानों पर पीएचई की राइजिंग लाइन से डायरेक्ट पेयजल सप्लाय वर्षों से हो रहा है। इन क्षेत्रों को आज तक पेयजल टंकियों से कनेक्ट नहीं किया गया। जब पेयजल टंकियों को भरने के लिए पंप चलते हैं उस दौरान पुराने शहर के कई इलाकों में नलों से पानी सप्लाय होता है। कारण यह कि लोगों ने सीधे राइजिंग लाइन से नल कनेक्शन किए हैं। पीएचई के अफसर ऐसी गड़बड़ी का समाधान नहीं कर पा रहे।
प्रतिदिन जलप्रदाय के बाद भी डेम लबालब
शहर में प्रतिदिन जलप्रदाय के बाद भी गंभीर डेम पूरी क्षमता से भरा है। डेम का लेवल 2250 एमसीएफटी है। प्रभारी बताते हैं कि 8 दिन पहले डेम का एक गेट आधा सेंटीमीटर खोलकर पानी बहाना पड़ा था। नवंबर माह से डेम में पानी का लेवल कम होने लगेगा।
गऊघाट का 1 प्लांट चालू करना जरूरी
बिगड़ती पेयजल सप्लाय व्यवस्था के संबंध में गऊघाट प्लांट प्रभारी कमलेश कजोरिया ने बताया कि गऊघाट के तीन में से दो प्लांट चल रहे हैं जिसका पानी गंभीर से आ रहा है। शिप्रा से पानी लेकर तीसरा प्लांट चालू कर दिया जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है।
महापौर-अध्यक्ष उतरे मैदान में- तीन दिनों पूर्व क्षीरसागर पेयजल टंकी के नीचे पार्षद ने रहवासियों के साथ धरना दिया। पीपलीनाका क्षेत्र में पार्षद मैदान में उतरे और चक्काजाम की धमकी दी। क्षीरसागर पर पीएचई कार्यपालन यंत्री ने पार्षद को समस्या के समाधान का आश्वासन दिया। पीपलीनाका क्षेत्र में निगम अध्यक्ष कलावती यादव ने आश्वासन दिया। महापौर मुकेश टटवाल, पीएचई विभाग प्रभारी प्रकाश शर्मा, शिवेन्द्र तिवारी, रजत मेहता के साथ पीएचई कंट्रोल रूम शिकायत सुनने पहुंचे। महापौर ने कमिश्नर आशीष पाठक से फोन पर कहा, श्रीमानजी उज्जैन की जनता को शुद्ध पानी देना आपका काम है। देना ही पड़ेगा।