अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। विक्रमोत्सव के तहत आज की प्रस्तुति चक्रव्यूह में अभिनेता नितीश भारद्वाज मंच पर होंगे। समारोह के चौथे दिन 24 मार्च 2025 को सायं 07-00 बजे कालिदास अकादमी के बहिरंग मंच पर अतुल सत्य कौशिक निर्देशित चक्रव्यूह की प्रस्तुति होगी। चक्रव्यूह में जाने-माने अभिनेता नितीश भारद्वाज खुद मंच पर दिखाई देंगे।
भारद्वाज अपनी मधुर मुस्कान के लिए जाने-पहचाने जाते हैं। वे नीतेश नाम से भी जाने जाते हैं। लोकप्रिय धारावाहिक महाभारत में बीआर चोपड़ा ने कृष्ण की भूमिका उनकी सहज मुस्कुराहट और संवाद बोलने की अदायगी पर दी थी। वे पूरी महाभारत में सबसे ज्यादा छाए रहे। आलम यह था कि इस धारावाहिक के प्रसारण के बाद जब भी वे किसी कार्यक्रम में जाते तो दर्शक उन्हें कृष्ण-कृष्ण कह ही पुकारते थे। उनके किरदार में वह जीवटता थी लोग उनके चरण छूते थे। वे लोकसभा के सदस्य से लेकर फिल्म निर्माता भी रहे। उन्होंने अपने निर्देशन में मराठी फिल्म पितुरून बनाई।
महाभारत कथा में नहीं आए
बीआर चोपड़ा ने महाभारत की लोकप्रियता के बाद महाभारत कथा का १९९७-९८ में निर्माण किया। इसमें एक बार पुन: नितीश को ही लेने का मन बनाया गया। प्रोडक्शन टीम ने संपर्क किया लेकिन नितीश उस समय चूंकि राजनीति में व्यस्त थे और सांसद थे इसलिए इस धारावाहिक का हिस्सा नहीं बन सके। नितीश पशु चिकित्सक भी हैं। अभिनय की दुनिया में सफल होने के कारण वे इस पेशे से दूर हो गए।
मीरा बन कर पत्र भेजा करती थीं
नितीश की लोकप्रियता का यह आलम था कि जब वे महाभारत में काम कर रहे थे तब बहुत सी लड़कियां उन्हें मीरा बन कर पत्र भेजा करती थीं। एक बार वे होली पर वृंदावन गए और लोगों के बीच खूब नाचे। चार घंटे तक वे लोगों के बीच रहे। इस पल को वे कभी नहीं भूलते। आज वे उज्जैन के कला रसिकों के बीच रहेंगे।
प्रेम में स्वामित्व नहीं समर्पण की सीख देता नाटक माधव
विक्रमोत्सव अंतर्गत विक्रम नाट्य समारोह के तीसरे दिन कुलविंदर बक्शीश निर्देशित माधव का मंचन हुआ। प्रस्तुति में प्रेम के संदर्भ में एक प्रसंग आता है। कृष्ण की मृत्यु के बाद जब राधा के पास एक दूत यह सूचना लेकर जाता है कि कृष्ण दैहिक रूप से इस दुनिया को छोड़ चुके है राधा इस बात को नहीं मानती वह दूत से कहती है कृष्ण कण-कण में समाहित है, कृष्ण ही राधा है और राधा ही कृष्ण। दूत को भी राधा के रूप में कृष्ण की छवि दिखाई देती है।
दूत कृष्ण से पूछता है कि कृष्ण ये कैसा प्रेम है? कृष्ण जवाब देते है- प्रेम में स्वामित्व नहीं समर्पण हो तो एक-दूसरे के प्रति प्रेम करने वाले एक हो जाते हैं। इसके पहले महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी, विक्रम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कार्यपरिषद सदस्य राजेश कुशवाह, विक्रम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पुराविद डॉ. रमण सोलंकी ने कलाकारों का स्वागत किया। नाट्य प्रस्तुति माधव धर्म, शत्रुता, मित्रता, दरिद्रता, संपन्नता, सम्मान, अपमान, अहंकार, ईर्ष्या, द्वेष, भय, ज्ञान, अज्ञान, वियोग, संयोग, विरह, प्रेम, नृत्य और संगीत से समावेशी, समाज और मानव जीवन के हर पहलू दिखाने की कोशिश की गई है।