धूल खा रहे हैं लाखों के सुरक्षा उपकरण
जिन पुलिसकर्मियों को सुरक्षा की जिम्मेदारी है वे खड़े रहते हैं, जांच इस तरह होती है कि लोग मंदिर परिसर तक बैग ले जाते हैं, सिर्फ आईडी पर ही जोर है मंदिर में
अक्षरविश्व न्यूज :उज्जैन। महाकाल मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी कई बार दी गई। पिछले दिनों भी यह अफवाह गर्म रही। हो सकता है सुर्खियों में आने के लिए इस तरह का पत्र हनुमानगढ़ रेलवे स्टेशन के अधीक्षक को भेजा गया हो, लेकिन हमें अपनी ओर से सुरक्षा में कोताही नहीं बरतना चाहिए। फिलहाल मंदिर सुरक्षा के इंतजामात पर गौर फरमाने की जरूरत है। सवाल यह कि क्या हम यह बताने की स्थिति में हैं कि मंदिर कितना सुरक्षित है। सुरक्षा के लिहाज से दिए गए उपकरण चलायमान हैं? संदिग्धों पर नजर है? आपात स्थिति से निपटने लिए सुरक्षाकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया है? आने वाले श्रद्धालुओं की बारीकी से जांच की जा रही है?
शहर में कोई बड़ी घटना घटे तो वह बेशक सुर्खियों में न आए, लेकिन महाकाल का नाम आते ही छोटी सी खबर भी नेशनल मीडिया की सुर्खियों में आ जाती है। पिछले दिनों बीकानेर रेल मंडल के सीपीआरओ कैप्टन शशि किरण ने बताया था कि हनुमानगढ़ रेलवे स्टेशन के अधीक्षक को धमकी भरा पत्र मिला था।
इस पत्र में महाकाल मंदिर का उल्लेख भी था। उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने इसे सिरे से खारिज कर दिया, लेकिन राजस्थान के गृह मंत्रालय ने एडवायरी जारी कर दी। पत्र जैश-ए-मोहम्मद के नाम से भेजा गया था। हो सकता है कि आतंकवादी संगठन ने राजस्थान रेलवे की सुरक्षा एजेंसी को जांचने-परखने के लिए पत्र भेजा हो। हमें अपने स्तर पर यह देखना है कि हम कितने सचेत और सतर्क हैं। महाकाल लोक बनने के बाद से पूरे देश के श्रद्धालुओं की नजर उज्जैन पर है। इधर, एसपी प्रदीप शर्मा का कहना है कि अवसर आने पर सशस्त्र बल की तैनाती की जाती है फिलहाल सामान्य गार्ड सुरक्षा में लगे हैं।
बामनिया के सस्पेंड होने के बाद सुरक्षा प्रभारी की नियुक्ति नहीं
होमगार्ड की तरफ से महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति को 35 होमगार्ड जवान उपलब्ध कराए गए हैं। यह जवान मंदिर समिति व महाकाल मंदिर चौकी के निर्देशन में काम करते हैं। एक समय में होमगार्ड के 8 जवान मंदिर की ड्यूटी में रहते हैं जो 8-8 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं। होमगार्ड कमांडेंट संतोष जाट ने बताया कि पिछले दिनों महाकालेश्वर मंदिर के सामने महाराज वाड़ा की दीवार गिरने के बाद प्रशासन द्वारा महाकालेश्वर मंदिर सुरक्षा प्रभारी दिलीप बामनिया को हटा दिया था। उनके स्थान पर किसी दूसरे व्यक्ति की नियुक्ति अभी नहीं की गई है। फिलहाल मंदिर प्रशासक ही सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। महाकाल मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
मानसरोवर द्वार
यहां महाकाल लोक, बड़ा गणेश मंदिर और भारत माता मंदिर की तरफ से लोग पहुंच सकते हैं। निर्गम द्वार की तरफ लगे बेरिकेड्स में प्रवेश कर मानसरोवर प्रवेश द्वार के रास्ते महाकालेश्वर मंदिर में सामान्य श्रद्धालु पहुंचते हैं। सुरक्षा के लिहाज से यहां बैग स्कैनर मशीन लगना चाएि।
अवंतिका द्वार
सुबह 9.15 बजे : 1 पुलिसकर्मी ड्यूटी पर दूसरा अंदर बेंच पर बैठा। केएसएस कंपनी के 5 महिला-पुरुष सुरक्षाकर्मी। लोगों के आईडी, शीघ्र दर्शन टिकट व डेली दर्शनार्थियों की जांच। मोबाइल, पर्स पर ध्यान नहीं। किसी भी कर्मचारी के पास कोई शस्त्र नहीं। प्रवेश के बाद बैग स्कैनर मशीन जो कि बंद होकर अटाले में पड़ी थी।
शंख द्वार : सुबह 9.25 बजे : केएसएस कंपनी के 4 कर्मचारी। कोठार शाखा के लिए तैनात 1 सशस्त्र पुलिसकर्मी। यहां से वीआईपी, वीवीआईपी को प्रवेश दिया जा रहा है। मंदिर में प्रवेश करने वालों की संख्या नाम मात्र लेकिन चैकिंग नहीं। कर्मचारी कुर्सियों पर आराम से चाय व मोबाइल का आनंद लेते दिखे।
गेट नंबर 13 : इस द्वार से कोटि तीर्थ होते हुए महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश दिया जाता है। हालांकि इसका उपयोग पंडे, पुजारी, मंदिर के सुरक्षाकर्मी और समिति के अधिकारी कर्मचारी करते हैं। यहां से आधिकारिक रूप से किसी को प्रवेश नहीं दिया जाता।
निर्गम द्वार
इस गेट से किसी को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाता। दर्शनों के बाद सभी श्रद्धालु इसी गेट से बाहर निकलते हैं। यहां 1 पुलिसकर्मी और 2 केएसएस कंपनी के कर्मचारी तैनात हैं। पुलिसकर्मी कुर्सी पर बैठकर मोबाइल में व्यस्त। दो कर्मचारी यहां वहां टहलते हुए।
तीन बैग स्कैनर मशीनें धूल खा रही हैं महाकाल मंदिर में
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के पास हेड काउंटिंग मशीन, बैग स्केनर मशीन, मेटल डिटेक्टर मशीन उपलब्ध हैं। पहले जिस गेट नंबर 4 हाथी द्वार से प्रवेश दिया जाता था वहां पर करीब 3 बैग स्कैनर मशीनें धूल खा रही हैं। अवंतिका द्वार से प्रवेश के बाद रखी मशीन भी अटाले में पड़ी है। यहां पर हेड काउंटिंग व मेटल डिटेक्टर मशीन रखी थी। वह कहां गई इसकी जानकारी कर्मचारी नहीं दे पाए। उनका कहना था कि मशीन के अंदर से एक व्यक्ति को निकालने में 40 से 50 सेकंड का समय लगता था। भीड़ के दिनों में मशीन के उपयोग में परेशानी आ रही थी इस कारण हटा दी। इस तरफ महाकाल मंदिर प्रशासन ने अभी तक ध्यान नहीं दिया है।