एक ब्रिज के तीन नाम : शाम को जाम, नजारा लगता है नोएडा जैसा

रोजाना परेशानी से झेलते हैं लोग, अधिकारियों का ध्यान नहीं

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अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। जीरो पाइंट ब्रिज इन दिनों जाम का केंद्र बना हुआ है। चामुंडा माता मंदिर वाले ब्रिज के बाद यही शहर का ऐसा ब्रिज है जो पुराने शहर को नए शहर से जोड़ता है। इस समय पंच पर्व के कारण आवाजाही बढ़ गई है। शाम के समय तो इस ब्रिज को पार करना मुसीबत का सबब बन जाता है। लोग परेशान हैं।

जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन यदि इस पर ध्यान दे तो शहर के लोगों को जाम से मुक्ति मिल सकती है। अधिकारियों को शाम के समय इस इलाके का दौरा करना चाहिए। ब्रिज पर जाम लगने के कारण सांदीपनि चौराहे तक वाहनों की कतार लग जाती है। दूसरे छोर पर ढांचा भवन की यातायात व्यवस्था भी बिगड़ जाती है। शाम का नजारा नोएडा की व्यस्त सडक़ जैसा लगने लगता है। इस ब्रिज के तीन नाम हैं। पाटीदार ब्रिज, जीरो पाइंट ब्रिज, घास मंडी ब्रिज।

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जाम का एक कारण यह भी


जाम लगने के दो कारण तो हैं ही, तीसरा कारण भी है। यह तीसरा कारण है किसी पुलिस कर्मचारी का शाम के समय ब्रिज के कोने पर न होना। पुलिस व्यवस्था सूचना और मुखबिर के दम पर चलती है। जाम के भुक्तभोगियों का कहना है क्या यातायात के विभाग के अधिकारियों तक यहां की सूचना नहीं पहुंंचती है? यदि एक पुलिस कर्मचारी भी तैनात हो तो वह व्यवस्था संभाल सकता है। ऑटो चालक राजू परमार, यतींद्र कुमार और गिरजेश का कहना है कि हम यहीं पर खड़े रहते हैं, हमने कभी पुलिस वाले को नहीं देखा। रोजाना झगड़े होते हैं। टक्कर होती है। डर लगता है कि किसी दिन कोई बड़ा विवाद न हो जाए।

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अक्षरविश्व सुझाव: इस दाएं रास्ते पर लगना चाहिए दो लोहे के पिलर…

जाम के प्रमुख कारण ब्रिज के दो रास्ते हैं। इन्हीं रास्तों की वजह से यातायात व्यवस्था बिगड़ती है। जब हम सांदीपनि चौराहे से ब्रिज की ओर आगे बढ़ते हैं तो दो रास्ते नजर आते हैं। दांया रास्ता सर्वमंगलेश्वरी माता मंदिर होता हुआ सब्जी मंडी की तरफ जाता है। इस दांये रास्ते से बाइक वाले तो ठीक कार और ऑटो वाले भी आना-जाना करते हैं। रास्ता इतना संकरा है कि उन्हें भी दिक्कत होती है, लेकिन दिक्कत को पार कर वे निकलते जरूर हैं। जानकारों का कहना है कि इस रास्ते पर दो पिलर ऐसे लगा दिए जाएं कि सिर्फ बाइक ही निकल सके और पैदल यात्री आना-जाना कर सके।

दूसरा रास्ता भी घातक, यहां भी पिलर लगना चाहिए


यह रास्ता भी यातायात का बाधक है। फ्रीगंज की ओर से आने वाले इस बांये रास्ते से घूम कर ब्रिज पर चढ़ते हैं। अब होता यह है कि सांदीपनि चौराहे की ओर से आने वाले ब्रिज की ओर बढ़ते हैं। उधर दांयी ओर से वाहन चालक आते हैं। इधर दांयी ओर से भी वाहन चालक ब्रिज के मुहाने पर अपने वाहनों को फंसा देते हैं। उधर ढांचा भवन की ओर से वाहन आते हैं और यहां उतार पर आकर फंस जाते हैं। अब न तो बांयी ओर वाले आगे बढ़ते हैं न दांयी ओर वाले ऊपर की ओर चढ़ पाते हैं। नतीजन, जाम लग जाता है। यहां भी दो पिलर लगना चाहिए ताकि बांयी ओर से कोई बड़ा वाहन न निकल सके।

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