फरार अपराधियों की अदालत में गैर मौजूदगी पर भी मुकदमा चलेगा

By AV NEWS 1

एक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू

अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैनएक जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू होने जा रहे हैं। ये तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएल भारतीय साक्ष्य अधिनियम और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता हैं, जो इंडियन पीनल कोड, 1860 कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर, 1973 (सीआरपीसी) और इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 की जगह लेंगे। केंद्र सरकार की ओर से तीनों कानूनों को एक जुलाई 2024 से लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है।

कानूनों में बदलाव का उद्देश्य भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक बनाना है और इसमें इलेक्ट्रानिक रिकॉर्ड, फोरेंसिक जांच, अपराध दृश्यों की वीडियोग्राफी और डिजिटल समन के प्रविधान शामिल हैं। उन्होंने बताया कि पहली बार आतंकवाद और अलगाववाद, सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह, देश की संप्रभुता को चुनौती देने जैसे अपराधों को परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता की धाराओं में अब यह प्रावधान रहेगा कि फरार अपराधियों पर अदालत में गैरमौजूदगी पर भी मुकदमा चलाया जाएगा और सजा भी सुनाई जाएगी।

तलाशी और जब्ती की वीडियोग्राफी अनिवार्य, आरोप पत्र में देनी होगी

आमतौर पर देखा जाता है कि सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों को साक्ष्य दर्ज करने के लिए अदालतों द्वारा बुलाया जाता है। नए कानून में वर्तमान में कार्यभार संभाल रहे अधिकारी को फाइलों को देखने के बाद अदालत के समक्ष तथ्य पेश करने होंगे। नए कानून में ई- एफआईआर और जीरो एफआईआर का भी प्रावधान रखा गया है। यह एक क्रांतिकारी बदलाव है। कुल 313 संशोधन किए गए हैं जो आपराधिक न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे। तलाशी और जब्ती की वीडियोग्राफी अनिवार्य की जा रही है और इसके बिना आरोप पत्र स्वीकार नहीं किया जाएगा।

प्रावधानों का ध्यान रखना होगा

कानून के संरक्षकों एवं न्यायविदों को दोनों प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए कार्य करना होगा। सभी मौजूदा आपराधिक मामलों यानि कि एक जुलाई, 2024 से पहले के आपराधिक प्रकरणों में अंतिम निर्णय तक आइपीसी के प्रविधानों पर मुकदमा चलाया जाना जारी रहेगा एवं एक जुलाई, 2024 के बाद के आपराधिक प्रकरणों में बीएनएस के कानूनी प्रविधान लागू होंगे। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलोजी एक्ट 2000, का स्कोप भी बढ़ाया गया है। डिजिटल एविडेंस के मामले में अभी तक के लॉ में प्राइमरी डिवाइस जहां से एक्ट ऑफ क्राइम हुआ था, उसको प्राइमरी एविडेंस माना जाता था और बाकी को कॉपी माना जाता था, लेकिन अब सेकेंडरी डिवाइसेस को भी प्राइमरी एविडेंस माना जाएगा।

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