विश्व ध्यान दिवस: गूंजा एक विश्व, एक हृदय का संकल्प

उज्जैन। विश्व ध्यान दिवस पर रविवार को इंदौर रोड स्थित श्रीअरविंद योग शक्ति पीठ (तिरुपति विहार) पर सामूहिक ध्यान सत्र और इस वर्ष की मुख्य थीम एक विश्व, एक हृदय चर्चा का आयोजन किया गया। श्री अरविंद दर्शन के अध्येता मधुसूदन श्रीवास्तव ने ध्यान की व्याख्या करते हुए कहा कि भागवत चेतना को समर्पित होकर किया गया हर कार्य ही ध्यान है। इसके लिए किसी जटिल पद्धति की आवश्यकता नहीं, बल्कि साधक का निरंतर प्रयत्नशील रहना महत्वपूर्ण है।
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संस्था के अध्यक्ष विभाष उपाध्याय ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से जहाँ सबसे लंबे दिन (21 जून) को योग दिवस मनाया जाता है, वहीं सबसे छोटे दिन (21 दिसंबर) को विश्व ध्यान दिवस के रूप में पहचान मिली है। कार्यक्रम में स्वामीजी ने साधकों को श्वांस-प्रश्वांस की वैज्ञानिक विधि से अवगत कराया। महाकाल मंदिर के पूर्व प्रशासक आनंदीलाल जोशी ने अद्वैत से द्वैत की यात्रा को ध्यान का आधार बताया। नारी शक्ति समिति की संयोजक डॉ. लतिका व्यास ने अष्टांग योग के माध्यम से स्व-अनुशासन और सामाजिक अनुशासन पर बल दिया। डॉ. कविता उपाध्याय एवं आनंद मोहन पण्ड्या ने महर्षि अरविंद की रचना सावित्री के अंशों का पाठ किया।

विश्व ध्यान दिवस पर लगाया ध्यान
उज्जैन। विश्व ध्यान दिवस पर महाकाल योग ग्रुप समूह में योगाचार्य डा. रामेश्वर परमार ने सूक्ष्म व्यायाम, आसन, प्राणायाम, ध्यान करवाया। योग की सभी सूक्ष्म क्रियाएं, ध्यान, आसन, प्राणायाम कराया गया। योगाचार्य डा. परमार ने सभी को ध्यान लगाने के लाभ बताएं। डा. परमार का स्वागत प्रेमनारायण राठौर, पुष्करराज निगम ने किया। आभार दिनेश सक्सेना ने माना।
ध्यान दिवस पर अनुभूति दिवा केंद्र में योग और जीवनशैली पर चर्चा
उज्जैन। योग केवल शारीरिक आसन या प्राणायाम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीने की एक संपूर्ण कला और जीवनशैली है। जब हम अपने मन-मस्तिष्क को शरीर, विचार और व्यवहार के साथ संतुलित करते हैं, तभी हम पूर्णत: स्वस्थ रह सकते हैं।
यह विचार योगाचार्य राजेश अंधेरे ने बसंत विहार स्थित अनुभूति दिवा केंद्र में आयोजित योग चर्चा के दौरान व्यक्त किए। योगाचार्य अंधेरे ने स्वस्थ रहने के व्यावहारिक सूत्र साझा करते हुए बताया कि योग से मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है, सकारात्मकता आती है। व्यक्ति को दिन में आवश्यकतानुसार भोजन करना चाहिए, लेकिन रात के भोजन से परहेज करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। पर्याप्त नींद लेना और अपने इष्ट का स्मरण करना मानसिक शांति के लिए आवश्यक है। आभा शर्मा, संजय चौकड़े, के.एल. जायसवाल, रागिनी मोरघोड़े, सुधा भार्गव, दीपक भार्गव, सविता वर्मा, सीमा शर्मा और डॉ. स्वामीनाथ पाण्डेय सहित कई प्रबुद्ध जन उपस्थित थे।








