Movie Review:Tiger 3

By AV NEWS

यशराज फिल्म्स स्पाई यूनीवर्स यानी कि यशराज फिल्म्स की जासूसी दुनिया की पांचवीं फिल्म ‘टाइगर 3’ दिवाली के अनार, पटाखे, फुलझड़ी, झुरझुरी और मस्ताब सब लेकर बॉक्स ऑफिस पर सज चुकी है। सुबह 6 बजे के शो में मैं मुंबई के मलाड स्थित आइमैक्स थियेटर में फिल्म देख रहा हूं तो देखता हूं कि सलमान खान के दीवानों का सुबह से यहां मेला लगा हुआ है।

ऐसा मेला सलमान के चाहने वालों का उनकी सिनेमाघर में रिलीज होने वाली हर फिल्म के पहले शो पर लगता रहा है लेकिन सुबह 6 बजे? यही इस बंदे का तिलिस्म है। सलमान खान का तिलिस्म सिर्फ एक इंसान तोड़ सकता है और वह है खुद सलमान खान। एक ब्लॉकबस्टर फिल्म देने के बाद सलमान की लाइन से तीन-चार बड़ी फ्लॉप देने की आदत रही है। गनीमत है कि ये तीन-चार फिल्मों वाला कोटा सलमान ‘किसी का भाई किसी की जान’, ‘गॉडफादर’, ‘अंतिम’ और ‘राधे’ में पूरा कर चुके हैं। ‘दबंग 3’ को भी इसमें गिनना हो तो गिनती पूरे पांच की हो जाती है।

2012 में आई ‘एक था टाइगर’ ने सलमान को पांच साल की जो संजीवनी वह 2017 तक चली और उसके बाद आई ‘टाइगर जिंदा है’ उनकी गाड़ी यहां तक खींच लाई। अब बारी ‘टाइगर 3’ की है। टाइगर हालांकि इससे पहले इसी साल की शुरुआत में पठान को बचाने आ चुका है और बड़े परदे पर अपने इस अवतार में तालियां भी बटोर चुका है। लेकिन, यशराज फिल्म्स की जासूसी दुनिया का ये सबसे सीनियर जासूस इकलौता देसी जासूस है जो शादीशुदा है और जिसके एक बड़ा हो चुका बेटा भी है।

इसकी मां को वह कैसे मौत के मुंह से निकाल लाया था, ये दर्शक फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ में देख ही चुके हैं। फिल्म ‘टाइगर 3’ एक तरह से देखा जाए तो इस जासूसी दुनिया को पहली बार ठीक से स्थापित कर थी। कहानी में 12 मसाले भी हैं और 56 जायके भी और साथ में पठान भी हैं। एजेंट कबीर भी दिवाली बोनस की तरह फिल्म में मौजूद हैं। कहानी वही है जो आपने फिल्म के ट्रेलर में देखी। बेटे और उसकी मां को बचाते बचाते टाइगर अपनों के ही निशाने पर आ गया है। इस बार उसका सामना भी एक दमदार विलेन से है।

फिल्म ‘टाइगर 3’ एक ऐसी फिल्म है जिसे देखने यशराज स्पाई यूनिवर्स का जिनको चस्का लग चुका है, वे सब आएंगे। इतवार को दिवाली के दिन फिल्म रिलीज हुई है तो भी सुबह सुबह के शो में दिखी गर्दी इस बात का सबूत है कि सिनेमाघरों में फिल्में देखने वालों का ओटीटी मोह अब खत्म होने को है। उन्हे बस धांसू फिल्म चाहिए। धांसू एक्शन चाहिए।

एक दो गुनगुनाने लायक गाना चाहिए और चाहिए हर 20-25 मिनट बाद जेम्स बॉन्ड की फिल्म सरीखा एक ट्विस्ट। आदित्य चोपड़ा ने इस फिल्म की कहानी में भी इसका पूरा ख्याल रखने की कोशिश की है। श्रीधर राघवन देसी जासूसी फिल्मों के इयान फ्लेमिंग बनने की कोशिश तो कर रहे हैं लेकिन इस बार उनकी पटकथा ही फ़िल्म की सबसे कमज़ोर कड़ी है। अंकुर चौधरी के चुटीले संवाद बस कहीं कहीं ही असर करते दिख रहे हैं। यशराज फिल्म्स स्पाई यूनिवर्स की फिल्मों की खासियत ये है कि ये दर्शकों को सोचना का मौका नहीं देती हैं। हर पल परदे पर कुछ न कुछ रफ्तार से घटता ही रहता है और जब तक फिल्म खत्म होती है, दर्शकों के पास ये सोचने का मौका ही नहीं होता कि कहां मामला थोड़ा लचक गया।

मसाला फिल्मों की सबसे हिट फ्रेंचाइजी बन चुकी यशराज स्पाई यूनिवर्स की ताजातरीन फिल्म ‘टाइगर 3’ की अवधि 156 मिनट होने के बाद भी फिल्म शुरू से आखिर तक मनोरंजक बने रहने की कोशिश करती है लेकिन इसका इंटरवल का पहले का हिस्सा काफ़ी कमजोर है।

सलमान खान का नाम फिल्म का इनीशियल ड्रा भले इस यूनिवर्स की पिछली फिल्म ‘पठान’ जितना न ला पाया हो लेकिन फिल्म की कमाई टाइगर सीरीज की पिछली दोनों फिल्मों से बेहतर रहने के आसार दिख रहे हैं। सलमान खान पूरी फिल्म में अपनी आदत के हिसाब से इस बार भी हर जगह गुर्राते ही दिखते हैं। गनीमत ये है कि टाइगर के पारिवारिक दृश्यों में वह अपना लहजा नरम कर लेते है। कैटरीना कैफ पर अब उम्र का असर साफ दिखने लगा है। इसके बावजूद टॉवेल फाइट सीक्वेंस और दूसरी चेज सीक्वेंस में भी उनका करिश्मा असर करता है।

इमरान हाशमी को इस फिल्म में विलेन बनाकर यशराज फिल्म्स ने फिल्म ‘मशाल’ से शुरू हुई स्थापित नायकों को खलनायक की तरह पेश करने की परंपरा को नया आयाम दिया है। इमरान की कद काठी हालांकि हिंदी सिनेमा में न नायकों की स्थापित छवि से मेल खाती है और न खलनायकों से, इसके बावजूद इस किरदार में उन्होंने अपना सब कुछ झोंक दिया है।

इमरान हाशमी के पास अभिनय की कलाएं सीमित हैं और इसे ढांकने के लिए निर्देशक मनीष शर्मा को उनके दाढ़ी, बाल से लंबी मदद मिलती है। मनीष ने इस फिल्म में अपनी तरफ से ऐसा कुछ खास नही किया है जिससे उनकी निर्देशकीय कौशल का कोई नया अध्याय लिखा जाए।

लेकिन, उन्होंने कोरियोग्राफर्स और स्टंट डायरेक्टर्स पर पूरी तरह टिकी इस फिल्म को आदित्य चोपडा के सोचे नजरिये के हिसाब से पूरा का पूरा खाके में उतार दिया है। इस फिल्म की सफलता या विफलता इसके बाद आने वाली यशराज स्पाई यूनिवर्स की दोनों फिल्मों ‘वॉर 2’ और ‘टाइगर वर्सेस पठान’ की बुनियाद बनाने जा रही है और यही इन दोनों फिल्मों के निर्देशकों अयान मुकर्जी और सिद्धार्थ आनंद के लिए असली चुनौती भी साबित होने वाली है।

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