तीन साल बाद संक्रांति 14 जनवरी को 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्य का योग

By AV News

सूर्य के उत्तरायण होते ही मांगलिक कार्यों की भी हो जाएगी शुरुआत

अक्षरविश्व न्यूज उज्जैन। मकर संक्रांति 3 साल बाद इस बार पुन: 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इससे पहले वर्ष 2021 में 14 जनवरी और उसके बाद के वर्षों में 15 जनवरी को यह पर्व मनाया गया था। यही नहीं 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्य योग बन रहा है जो खरीदारी, दान-पुण्य, आध्यात्म और विकास के लिए शुभ रहेगा। ऐसे में लोग पवित्र शिप्रा में डुबकी लगाएंगे और तिल-गुल आदि का दान-पुण्य करेंगे। इस दिन सूर्य के उत्तरायण होते ही खरमास समाप्त होगा और मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाएगी।

ज्योतिषाचार्य पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास ने बताया 14 जनवरी माघ मास कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि मंगलवार के दिन सूर्य धनु राशि से शनि की मकर राशि में प्रवेश करेंगे। वैदिक पंचांग शास्त्र अनुसार वर्ष का राजा मंगल है और उत्तरायण में भी सौरमंडल के सेनानायक मंगल हैं। वैसे तो कुल 12 राशि में 12 संक्रांति होती है लेकिन मकर राशि में सूर्य उत्तरायण होते हैं जो शुभता का प्रतीक है।

बेहद शुभ माना जाता है पुष्य नक्षत्र

वैदिक ज्योतिष के अनुसार पुष्य नक्षत्र को बेहद शुभ माना गया है। इसे पुष्यमी या पूयम के नाम से भी जाना जाता है। यह नक्षत्र विकास, शुभता, धन, समृद्धि और आध्यात्मिक विकास का प्रतिनिधित्व करता है। ऋग्वेद में पुष्य को मंगलकर्ता, वृद्धिकर्ता और सुख-समृद्धि देने वाला भी कहा गया है। मकर संक्रांति पर्व पर मंगल पुष्य योग बन रहा है जो खरीदारी, दान पुण्य के लिए शुभ और दीर्घकालिक रहेगा।

सुबह 8.45 बजे मकर राशि में प्रवेश करेेंगे सूर्यदेव

ज्योतिषाचार्य पं. व्यास के अनुसार इस दिन सूर्यदेव सुबह 8.45 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। यह समय मकर संक्रांति का क्षण होगा। सूर्यदेव के उत्तरायण होने के साथ दिन बड़े होने लगेंगे। इस दिन सूर्य को अघ्र्य देकर पूजन किया जाता है। तीर्थ स्नान, तिल, उड़द, धान, खिचड़ी, गुड का दान किया जाता है जिससे पुण्य लाभ तो प्राप्त होता ही है, साथ ही स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी दूर होती हंै।

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