कांग्रेस आज-कल.. ये चिऱाग बुझ रहे हैं मैरे साथ जलते-जलते……..!

By AV NEWS

ललित ज्वेल. उज्जैन:छात्र राजनीति से कांग्रेस के साथ जुड़े 63 वर्षीय एडव्होकेट जाहिद नूर खान से जब यह जानना चाहा कि कांग्रेस से आखिर क्यों जनता का मोह भंग हुआ…? उन्होने शायराना अंदाज में जवाब दिया-आपने पॉकिजा फिल्म देखी थी क्या? या उसका गीत सुना था…चलते-चलते..। बस उस गीत को सुन लें,सारी कहानी समझ में आ जाएगी। कांग्रेस केवल प_ावाद में निपटी है। वरना कोई ओर कारण नहीं था जो पूरे देश में फैली पार्टी मु_ी में सिमट जाती।

जाहिद अपने छात्र जीवन की यादों से गुजरने लगते हैं-वो एक जमाना था। कांग्रेस का कार्यकर्ता भी अपने आप में ताकत रखता था। अधिकारी एक कान से सुनते थे तो दूसरे से निकालते नहीं थे,बात वहीं ठहर जाती थी। लीडरशीप हमेशा कार्यकर्ताओं का ध्यान रखती थी।

सुख हो या दु:ख,घर जाकर मदद करते थे नेता लोग। उदाहरण दिया कि राजेंद्र जैन जब मंत्री थे और हम लोग कार्यकर्ताओं के साथ भोपाल किसी काम से जाते तो वे सबसे पहले पूछते थे-खाना खाया या नहीं? जेब से नोट निकालकर देते ओर कहते-पहले सभी को खाना खिलाकर लाओ,फिर बैठकर आराम से बात करते हैं। जब उज्जैन लौटते तो सभी के चेहरे पर चमक रहती कि भोपाल जाना बैकार नहीं गया,जिस काम से गए थे, हो गया।

जाहिद भाई अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहते हैं-अर्जुनसिंह आते थे तो भीड़ में हम लोगों को नाम लेकर पुकारते थे और कहते थे सब ठीक चल रहा है नूर। बाद में आए दिग्विजयसिंह…। यह कहते हुए वे बोलते हैं- अब मैरा आरोप लिखो- दिग्गी के कार्यकाल में मध्यप्रदेश में सबसे अधिक दुर्गती हुई कांग्रेस की। हमारी सुननेवाला कोई नहीं था उज्जैन और भोपाल में। न अधिकारी सुनते ओर न ही लीडर।

विधायक यह कहकर टाल देते थे कि सीएम से समय मिले तो बात हो। उज्जैन की बात करें तो कण्ठाल से लेकर दौलतगंज तक रात को जब सभी मिलते ओर अपना दु:ख बांटते तब पाकिजा के गीत का उदाहरण देते थे कि पार्टी के सिद्धांत कैसे जल रहे हंै ओर कार्यकर्ताओं का वजूद कैसे खाक होता जा रहा है। अपनी बात को विराम देने से पहले वे कहते हैं-आज की पीढ़ी को पता नहीं कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता के आखिरी दस सालों में सड़्क की जगह गड्ढे थे और अंधेरे में रात कटती थी। बाजार में 8 बजे बाद सन्नाटा पसर जाता था। धंधे से लेकर सबकुछ ठप हो जाता था। ऐसे में कांग्रेस खड़ी होती तो कैसे?

आशा और विश्वास रखो, सबकुछ ठीक होगा: महावीर प्रसाद वशिष्ठ

कांग्रेस की आज की स्थिति तक पहुंचने के कारणों पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक महावीर प्रसाद वशिष्ठ से अक्षरविश्व ने चर्चा की। आज की पीढ़ी इस बात से अपरिचित है कि दिग्विजय शासन में श्री वशिष्ठ मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्य मार्गदर्शक होते थे।

सत्ता के गलियारे में संगठन का नहीं बल्कि उनका चाबुक चलता था और फाईलें या तो दौड़ लगाती थी या फिर स्थायी रूप से थम जाती थी। लम्बे अनुभव को बांटते हुए श्री वशिष्ठ ने कांग्रेस की आज की स्थिति को लेकर कहा-अंग्रेजी में एक कहावत है,उसका हिंदी अर्थ है-आशा रखो और चलते रहे,अपना काम करते रहो, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। याने कांग्रेस एक बार फिर से खड़ी होकर प्रदेश से दिल्ली तक राज करेगी।

उन्होने कहाकि कांग्रेस में प_ावाद आने के बाद ही संगठन कमजोर होता चला गया और कार्यकर्ता बिखरते चले गए। आज जनता इसलिए नहीं जुड़ रही है क्योंकि नेताओं ने विश्वास खो दिया है। आज ऐसे नेताओं की कमी है जिन पर जनता भरोसा करती हो। नेताओं पर भरोसा करके ही जनमत जीत झोली में डाल देता है। आवश्यकता है अपने आप को भरोसेमंद साबित करने की। इसके लिए समाज में आचार-विचार भी वैसे ही रखना होंगे। जब कांग्रेस में ऐसे लीडर आ जाएंगे तो दिल्ली दूर नहीं रह जाएगी।

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