उज्जैन:मास्क ना लगाने वालों को हम याद दिला दें

शहर में आज से 90 दिन पहले शव वाहन-श्मशान घाट वेटिंग में थे

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

advertisement

शहर में दो महीने पहले कोरोना ने जो भयावह दिन दिखाए उसको शायद हम भूल गए हैं। शहर की हालत ये है कि दो दिन पहले कोरोना का एक केस सामने आया था। अब दो हो गए, लापरवाही इसी तरह रही तो 10-20-30 होने मे देर नहीं लगेगी! मुख्यमंत्री ने भी इस वृद्धि पर चिंता जाहिर की है। बिना मास्क की बढ़ती भीड़ को देख कर आज यह सभी को याद दिलाना जरूरी हो गया है की शहर में आज से 90 दिन पूर्व शव वाहन वेटिंग में थे, अस्पतालों में बेड नहीं थे, मेडिकल स्टोर पर रेमडेसिविर नहीं था, वेंटीलेटर नहीं थे, सिटी स्कैन की मशीनें रात में 2 बजे तक चल रही थी, रिपोर्ट अगले दिन आ रही थी, प्राइवेट लैब में कोरोना की जांच की रिपोर्ट 3 दिन में आ रही थी और ऑक्सीजन की स्थिति पर तो कुछ कहने की आवश्यकता ही नहीं है।

बावजूद इसके आज शहर का नजारा देख कर लगता है की जनता ने कोरोना से हुई मौत के सरकारी आंकड़ों को सच मान कर स्वीकार कर लिया है। सभी निर्भिक होकर पुरानी जीवन शैली में लौट आए हैं। जिन्दगी का नाम आगे बढऩा है लेकिन आज की परिस्थिति में सावधानी से आगे बढऩा बेहद जरूरी है। शहर में मास्क की स्थिति हेलमेट जैसी हो गई है। बड़ी मुश्किल से किसी के चेहरे पर दिखता है। यह दृश्य डरावने संकेत दे रहे हैं। इससे बचने के लिए जो जरूरी है, वो सबको पता है। जरा सी मूर्खता अपने और दूसरों के लिए भी बहुत भारी साबित होगी। शहरवासियों ने याद नहीं रखा कि संक्रमण कम हुआ है खत्म नहीं। कोरोना का संकट बना हुआ है, फिर भी लापरवाही नजर आ रही है। अधिकतर यह सोचकर मास्क लगाने से बच रहे हैं थे कि कोरोना जा रहा हैं। ऐसे सभी लोगों का आज पुन: याद दिलाने की ज़रूरत है की यदि अब भी सावधानी नहीं रखी तो कोरोना से लड़ रहे डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ, वार्ड बाय, निगम कर्मचारियों, पुलिसकर्मी और अधिकारियों के हाथ में भी कुछ नहीं रहेगा।

advertisement

विशेष टिप्पणी
– श्रेय जैन

advertisement

Related Articles

close