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सिंहस्थ के पहले शिप्रा को स्वच्छ कर प्रवाहमान बनाने की तैयारियां प्रारंभ

नदी प्राधिकरण गठन का प्रस्ताव शासन को भेजा

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अक्षरविश्व न्यूज. उज्जैन:शिप्रा नदी को साफ कर प्रवाहमान बनाने की कवायद लगातार चल रही है। नदी संरक्षण की योजनाओं का क्रियान्वयन करने के लिए नदी प्राधिकरण गठन का प्रस्ताव है। यह प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। शिप्रा को बचाने के लिए राज्य सरकार जल्द ही शिप्रा नदी कछार प्राधिकरण (केआरबीए) का गठन करने जा रही है। जल संसाधन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय से मंजूरी मिलने के बाद इसका नोटिफिकेशन जल्द हो सकता है। प्राधिकरण सिंहस्थ 2028 से पहले शिप्रा नदी को 1996 से पहले जैसी प्रवाहमान और स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से काम करेगा।

 

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित होने वाले इस प्राधिकरण का उपाध्यक्ष जल संसाधन मंत्री और कन्वीनर जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर को बनाने की तैयारी है। प्राधिकरण में लगभग 12 सदस्य होंगे, जिनमें नगरीय प्रशासन, एनवीडीए, ग्रामीण विकास, राजस्व, वन, कृषि, पीएचई विभाग के मंत्रियों समेत इंदौर, उज्जैन, धार, देवास और रतलाम जिलों के नगरीय निकायों के प्रमुख शामिल होंगे।

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जल संसाधन विभाग के अनुसार वर्ष 1996 तक शिप्रा नदी में अविरल धारा होने की जानकारी मिलती है। तब तक नदी प्रदूषण से लगभग मुक्त थी। नदी का उद्गम और सबसे बड़ा वाटरशेड (जल ग्रहण क्षेत्र) एरिया इंदौर जिले में आता है। पिछले 30 साल में जिस तेजी से इंदौर शहर और उसके आसपास शहरीकरण और औद्योगिक विकास हुआ है, उसी गति से शिप्रा की धार टूटती चली गई और नदी प्रदूषण का शिकार होती चली गई।

ऐसा है प्रस्ताव

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शिप्रा नदी कछार प्राधिकरण के अधीन एक एक्जीक्यूटिव कमेटी का भी गठन होगा, जिसके अध्यक्ष मुख्य सचिव होंगे, और कन्वीनर बोधी (ब्यूरो ऑफ डिजाइन, हाइडल एंड इरिगेशन) के पदेन चीफ इंजीनियर को बनाया जाएगा। जिन विभागों को नदी पुनर्जीवन से जुड़े काम दिए जाएंगे, उनके प्रमुख अधिकारी समिति का हिस्सा होंगे।

यह काम करेगा प्राधिकरण

पूरे कछार में आने वाली शिप्रा की सहायक नदियों और नालों की स्वच्छता के कार्यक्रम बनाना।

वित्तीय मदद और अतिरिक्त संसाधन जुटाना।

नदी संरक्षण से जुड़ी केंद्रीय और राज्य की संस्थाओं के साथ समन्वय करना।

नदी के अविरल प्रवाह से जुड़ी योजना बनाना और क्रियान्वयन के लिए नीतिगत निर्णय लेना।

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